Wednesday 8 April 2020

महाविद्यालय का पहला दिन निबंध my first day of college essay in hindi.

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महाविद्यालय पर निबंध

Mahavidyalaya par nibandh.

जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तो महाविद्यालयों (कॉलेजों) में पढऩे वाले छात्रों को बड़ी उत्सुकता और गौर से देखा करता था। कई बार सोचता, वह दिन कब आएगा, जब मैं मनचाहे कपड़े पहन, किताबों के भारी बस्ते के बोझ से छुटकारा पाकर केवल हाथ लटकाए हुए ही महाविद्यालय में जाया करूंगा। वहां से आकर अपने छोटे बहन-भाइयों और स्कूल के जूनियर सहपाठियों पर रोब झाड़ा करूंगा कि आज यह किया वह किया वगैरह। सच कहता हूं कि बारहवीं तक एकरसता का स्कूली जीवन जीते-जीते मेरा मन पूरी तरह से ऊब गया था। स्कूल में रोज वही एक रंग की वर्दी, वही किताबों-कॉपियों के ढेर, मास्टरजी द्वारा जब चाहा कक्षा में खड़ा कर देना या डांट देना-सभी कुछ तो एक जैसा ही था। इस कारा जब बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी, बाद में परिणाम आने पर मैं अच्छे अंक लेकर उतीर्ण हो गया, तो बड़ी खुशी हुई। बाद में थोड़ी भाग-दौड़ करने पर एक महाविद्यालय में इच्छित विषय में प्रवेश भी मिल गया। सो मैं स्कूल के सीमित और घुटनभरे वातावरण से निकल कॉलेज के खुले और स्वतंत्र वातावरण में जाने की तैयारी करने लगा। वर्दी से अब छुटकारा मिल गया था, सो मैंने कई बढिय़ा कपड़े सिला लिए। मन में भी अब मैं नए भाग और विचार संजोने लगा कि किस प्रकार महाविद्यालय में जाकर पढूंगा-लिखूंगा तो अवश्य, पर स्वतंत्रता का सुख भोगते हुए शान से रह भी सकूंगा।

आखिर वह दिन आ ही गया। 16 जुलाई का दिन, जब दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके महाविद्यालय गर्मियों की छुट्टियों के बाद खुलते हैं। मैंने इच्छित कपड़े पहने, बाल संवारे और कई बार अपना चेहरा दर्पण में देखा। सच, मुझे अपना चेहरा पहले से कहीं सुंदर और आकर्षक लगा रहा था। मुझे बार-बार शीशा देखते देख मेरी स्कूल में पढऩे वाली बहन ने कहा-आज पहली बार कॉले जा रहे हो। देखना भैया, कहीं अपनी ही नजर न लग जाए। ‘हट पगली’ कहकर मैंने उसकी बात हंसी में उड़ा दी और सीटी बजाता हुआ कॉलेज की तरफ चल दिया। कॉलेज के गेट पर पहुंचते ही अनुभव हो गया कि वहां का वातावरण काफी गरम है। चारों और ताजा दम लडक़े-लड़कियों की भीड़ सी उमड़ रही थी। उनकी हंसी और कहकहे सारे वातावरण में गूंज रहे थे। तरह-तरह की बातें समझ तो नहीं आ रही थी, पर पता चल जाता था कि किसी देश का कैशोर्य यौवन की तरफ कदम बढ़ाता हुआ चहक-महक रहा है। मैंने दूर से ही देखा कि कुछ छात्र बड़े जोश और उत्साह से भरकर आपस में गले मिल रहे हैं। कुछ दूर से ही हाथ हिलाकर ‘हैलो-हाय’ कह रहे है। मुस्कानों से सभी के चेहरे खिले जा रहे हैं। छात्रांए भी किसी से कम नहीं थी। उन्हें पास से गुजरते देख छात्रों के दल मजाक में चहकते हुए पूछ उठते ‘यह चिडिय़ों का चंबा किधर उड़ान भर रहा है?’ उत्तर में छात्रांए कह उठतीं ‘जिधर कौए ओर बाज जैसे परिंदे झपट्टा मारने वाले न हों।’ सुनकर वातावरण ठहाकों और खिलखिलाहट से गूंज उठता।

बाहर से ही मैंने अनुभव किया कि सीनियर छात्र-छात्रांए नए आने वालों पर चोरी-छुपे नजर रख रहे थे। नए आने वालों को वे लोग झट ताड़ लेते और फिर ‘नया पंछी’ कहकर उनमें कुछ इशारेबाजी होने लगती। बस, कुछ ही क्षण बाद वह नवागंतुक घिर जाता और पता न चल पाता कि उसके साथ फिर क्या हुआ? मैंने कुछ दबे-सहमे ढंग से एक बड़ी ही सुंदर लडक़ी को गेट में घुसते देखा। अगले ही क्षण एक लड़कियों की टोली ने कहीं से प्रकट होकर उसे पुकारते हुए कहा ‘ऐ हिरोइन, कहां से अकेले ही मुंह उठाए घूम रही हो? कोई हीरो नहीं मिल पाया क्या अभी तक?’ वह नवागुतुका एकदम रुक गई। सहमी नजरों से उसने उस टोली की तरफ देखकर मुस्कराने की चेष्टा की कि तभी सुनाई दिया ‘अरी रहने दो इन फूलों को होंठों पर ही? कुछ अपने हरों के लिए भी बचाए रखो और चुपचार इधर चली आओ।’ इसी प्रकार का व्यवहार महाविद्यालय के गेट में घुसने वो नवागंतुक छात्रों के साथ भी हो रहा था। मेरे देखते-देखते छात्र-छात्राओं की टोलियां कई नवागंतुक छात्रों के साथ भी हो रहा था। जो हो, पर सब देखकर मन में एक अनजाना डर सा पैदा हो गया। हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि गेट के भीतर जाऊं। एक बार तो जी आया कि वापिस लौट आऊं। फिर सोचा, आखिर कब तक बचा रह सकूंगा। जब इसी विद्यालय में पढऩा है तो आज या कल भीतर तो जाना ही है। अत: जो कुछ भी होना है, क्यों न आज ही भुगत लूं? सोचकर दो कदम आगे बढ़ा, पर सामने छात्र-छात्राओं की टोलियों में नए सिरे से घिरे छात्र-छात्रा को देखकर कदम फिर रुक गए।

सोच में ही क्षण बीत गए। तभी गेट के बाहर आकर छात्रों की एक टोली ने मुझे घेर लिया। उनमें से एक दाढ़ी वाले ने जरा रोबीले स्वर में कहा-क्यों बे हीरो के बच्चे। देख रहा हूं, कब से यहां खड़े लड़कियां ताक रहे हो-क्यों। सुनकर मेरे होश उडऩे लगे। मैंने ‘न-नहीं ऐसी बात नहीं।’ कहकर विरोध करना चाहता, तो उसने फिर कहा ‘तो इतनी देर से यहां खड़े क्या कर रहे हो?’ मैंने सच बताना ही उचित समझा कहा ‘महाविद्यालय में नया दाखिल हुआ हूं।’ सुनकर वह बीच में बोल उठा। ‘ओ नए पंछी हो।’ कहकर उसने साथियों की तरफ देखा और फिर घूरते हुए कहा ‘तो भीतर क्यों नहीं आते हीरो। तुम्हे पढ़ाने के लिए क्या गेट के बाहर स्पेशल क्लास लगानी होगी?’ सुनकर सभी हंसने लगे। मुझे लेकर वे लोग महाविद्यालय भवन के पीछे वाले मैदान में पहुंचे। मैंने देखा, वहां पहले से ही कई बेचारे मेरे जैसे परेड कर या चक्कर लगा रहे थे। मुझे पहले कमीज उतारने के लिए कहा गया। वैसा करने पर आदेश मिला कि दौड़ लगाना सेहत के लिए अच्छा होता है, इसलिए पूरे मैदान का चक्कर लगाकर आऊं। मजबूरत मुझे वैसा करना पड़ा।’

मुझे चुप देख उन्होंने कैंटीन के बैरा को बुलाया और कहा ‘यह साहब जो ऑर्डर देते हैं, हम सबके लिए जल्दी से लेगर आओ, गिन लो, कम न पड़े।’ उन लोगों के बार-बाहर कहने पर मजबूरी में मुझे कुछ ऑर्डर देना पड़ा। कुछ ही देर में बैरा वह सब ले आया वे लोक स्वाद ले-लेकर खाने और मेरी तारीफ करने लगे। खा चुकने के बाद सभी ने मेरी तरफ देखा और मेरा हाथ अपने आप ही जेब की तरफ चला गया। इससे पहले कि मैं रुपयों के साथ हाथ बाहर निकालता, एक ने कहा ‘ठहरो पहले हम सबके पैर छूकर प्रणाम करो’ मुझे करना पड़ा। तब सभी ने मुझे आशिर्वाद दिया। मैंने आश्चर्य से देखा और सुना वे सभी कह रहे थे ‘बच्चे, हमेशा याद रखान विद्या के इस मंदिर को हमने रेकिंग के गलत तरीके अपनाकर गंदा और बदनाम नहीं करना है। सीनियर होने के कारण अगले साल हम लोग यहां से चले जाएंगे। तब तुम सीनियर हो जाओगे। क्या समझे? और फिर वे बारी-बारी मुझे गले लगाने लगे।’ मैंने देखा, हमारे आपस बास बैठी अन्य टोलियां भी यही सब कह और कर रही थीं। वे लोग मुझे प्यार से समझाते-बुझाते रहे। खाने-पीने का सारा बिल भी उन्होंने चुकाया। फिर वे मुझे उस हाल तक पहुंचा गए, जहां प्राचार्य महोदय को नवागंतुक छात्र-छात्राओं को पहले दिन संबोधित करना था। मेरा मन अनजाने ही बार-बार भर-भर आ रहा था।

मैंने सुन रखा था कि महाविद्यालयों में पहले दिन नवागंतुकों की बड़ी दुर्गत की-कराई जाती है। परंतु मेरे साथ जो हुआ, वह सचमुच मेरे लिए हमेशा सुखद प्रेरणा का स्त्रोत बना रहा है। आज भी उसे याद करके मैं रोमांचित हुए बिना नहीं रह पाता।

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महाविद्यालय का पहला दिन । First Day of College in Hindi

my college essay in hindi

कोई भी दोस्त या आपका साथी या स्वयं जब नए कॉलेज या महाविद्यालय में दाखिला लेकर पहले दिन की शुरुवात करते है तो हमारे अंदर उस नये स्थान को देखने की अथवा वहाँ भ्रमण करने की जो इच्छा होती है वह पहले दिन का काफी उत्साहित तथा रोमांचक भरा दिन होता है।

जब कोई भी व्यक्ति पहले दिन महाविद्यालय पहुँचता है तो उसके उत्साह के साथ उसके अंदर डर बना रहता है क्योंकि वहाँ के बारे में उसको किसी चीज का अनुभव नहीं होता है । कभी – कभी महाविद्यालय में अपने से ऊपरी कक्षा के छात्र नये छात्रों के साथ रैगिंग करते है।

जब मेरा पहला दिन महाविद्यालय में प्रवेश हुआ था । तो काफी डरावना व उत्सुक भरा था मेरे दिमाग में यही चल रहा था की वहाँ के सहपाठी व छात्र तथा अध्यापकों का तालमेल कैसा रहेगा मेरे साथ । इसी तरह के अनेक प्रकार के भाव मेरे अंदर उठ रहे थे।

महाविद्यालय में पहले दिन का अनुभव

मेरा महाविद्यालय में पहला दिन काफी उत्साह तथा नयापन रहा । क्योंकि जब में पहले स्कूल व कालेजों में पढ़ा करता था तो उस समय दिमाग में यही सब चलता था की मैं भी एक दिन स्कूल के यूनिफोर्म से छुटकारा मिल जायेगा फिर मैं अपने मनपसंद कपड़े पहनकर महाविद्यालय जाऊंगा।

कुछ छात्रों को एक ही तरह के यूनिफोर्म पहन कर मन उब जाता है फिर वह महाविद्यालय में प्रवेश लेने की सोचते है । किसी बड़े बैग में किताबें भरकर ले जाने से की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि समय हम समझदार भी हो गये रहते है तो महाविद्यालय की अनुशासन की पालना भी करते है।

महाविद्यालय में सबका पहला दिन काफी उत्साहपूर्वक तथा थोडा डर का माहौल अंदर बना रहता है क्योंकि बच्चो द्वारा सुना गया रहता है की महाविद्यालय में सीनियर कक्षा के छात्र नई छात्रों से रैगिंग करते है । इसलिए सब सोचते है की उन छात्रों से उनकी भेट न हो।

जब कोई छात्र अपना कालेज व स्कूल पूरा करके और गर्मियों की छुट्टी बिता के जब वह किसी विश्वविद्यालय में या अपनी मनपसंद विश्वविद्यालय अपना प्रवेश लेता है तो उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की ख़ुशी देखें की मिलती है।

उसके बाद वह विश्वविद्यालय में जब अपना पहला कदम रहता है तो काफी उत्साहित तथा गर्व महसूस करता है । उसके साथ नये दोस्त बनते है जो महाविद्यालय की सारी जानकारियों का अनुभव साझा करते है । जब हम विश्वविद्यालय में दाखिला ले लते है तो हमारे अंदर वयस्कता पैदा होती है।

हमारे अंदर से डर धीर – धीरे विश्वविद्यालय आने से ख़त्म हो जाता है और हमारे अंदर खुद से भी अनुशासन का भाव पैदा होने लगता है तथा समय के पाबंद भी हो जाते है । ये सब का लाभ हमारे अंदर पैदा हो जाते है।

सभी छात्रों महाविद्यालय में  पहल दिन का अनुभव का महसूस कर वह सभी अपने दूसरे साथियों से साझा करते है । अगर हम अच्छे महाविद्यालय में दाखिला लेते है तो हमारे ज्ञान विकास के लिए काफी फायदेमंद होता है ।

हमें कई तरह की अच्छे चीजो का पता चलता है जो हम लोग स्कूल समय दोहराते रहते थे।

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गाइड टू एग्जाम

कॉलेज में मेरे पहले दिन पर निबंध 150, 350 और 500 शब्दों में

लेखक का फोटो

एक छात्र का जीवन नए सिरे से शुरू होता है जब वह स्कूल से स्नातक होता है और कॉलेज में आगे बढ़ता है। कॉलेज में अपने पहले दिन की उनकी याद हमेशा उनके दिल में अंकित रहेगी। अंग्रेजी में अभ्यास लिखने का उद्देश्य छात्रों को कॉलेज में अपने पहले दिन के बारे में एक निबंध लिखने के लिए कहना है। निम्नलिखित कॉलेज निबंध में उनके पहले दिन का हिस्सा है। छात्रों को कॉलेज में अपने पहले दिनों के बारे में अपने स्वयं के निबंध लिखने में मदद करने के लिए, मैंने एक नमूना निबंध और मेरे बारे में एक नमूना पैराग्राफ प्रदान किया है।

विषय - सूची

 कॉलेज में मेरे पहले दिन के बारे में 150 शब्दों का निबंध

 कॉलेज में मेरा पहला दिन मेरे लिए एक भावनात्मक अनुभव था, इसलिए इसके बारे में लिखना मेरे लिए मुश्किल था। जिस दिन मैंने अपने जीवन का वह नया अध्याय शुरू किया, वह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मैंने एसएससी परीक्षा पास करने के बाद हाजी मुहम्मद मोहसिन कॉलेज में दाखिला लिया। पहले दिन मैं सुबह 9 बजे से पहले पहुंच गया। मेरी पहली कार्रवाई नोटिस बोर्ड पर प्रक्रिया लिखने की थी। यह मेरे लिए तीन क्लास का दिन था। पहले अंग्रेजी की क्लास थी। मैं कक्षा में बैठ गया।

 बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे। उनके बीच जीवंत बातचीत हो रही थी। छात्रों के बीच काफी बातचीत हुई। हालाँकि मैं उनमें से किसी से पहले कभी नहीं मिला था, फिर भी मैंने उनमें से कुछ से जल्दी ही दोस्ती कर ली। कक्षा में प्राध्यापक समय पर पहुंचे। रोल्स को पहले बहुत जल्दी बुलाया गया था। अपने भाषण के दौरान, उन्होंने अंग्रेजी को अपनी भाषा के रूप में इस्तेमाल किया।

 उन्होंने एक कॉलेज के छात्र की जिम्मेदारियों पर चर्चा की। मेरे शिक्षकों के व्याख्यान आनंददायक थे, और मैंने प्रत्येक कक्षा का आनंद लिया। दोपहर में, मैंने कक्षा के बाद कॉलेज के कई क्षेत्रों का दौरा किया। महाविद्यालय के पुस्तकालय की तुलना में महाविद्यालय का पुस्तकालय बहुत बड़ा था। हजारों पुस्तकें प्रदर्शित थीं, जिन्होंने मुझे चकित कर दिया। मेरे जीवन का एक यादगार दिन कॉलेज में मेरा पहला दिन था।

 कॉलेज में मेरे पहले दिन पर निबंध 350+ शब्दों में

 वह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन था जब मैं पहली बार कॉलेज गया था। मैं उस दिन को कभी नही भूलुंगा। जब मैं स्कूल में था। मेरे बड़े भाइयों और बहनों ने मुझे कॉलेज जीवन की एक झलक प्रदान की। अभी-अभी कॉलेज शुरू करने के बाद, मैं बहुत आशा के साथ इसके लिए तत्पर था। मुझे ऐसा लग रहा था कि कॉलेज जीवन मुझे एक स्वतंत्र जीवन प्रदान करेगा, जहां कम प्रतिबंध होंगे और चिंता करने के लिए कम शिक्षक होंगे। आखिरकार वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार था।

 मेरे शहर में एक सरकारी कॉलेज खोला गया। जैसे ही मैंने कॉलेज के मैदान में कदम रखा, मैं आशा और आकांक्षाओं से भर गया। कॉलेज द्वारा प्रस्तुत विविध दृष्टिकोण को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। मैंने अपने स्कूल या उसके आसपास ऐसा कुछ कभी नहीं देखा था। कई अनजान चेहरे मेरे सामने आ गए।

 कॉलेज में एक फ्रेशमैन के रूप में, मैंने कुछ बहुत ही अजीब चीजों का अनुभव किया। कक्षा के दौरान छात्रों को इनडोर और आउटडोर गेम खेलते हुए और रेडियो प्रसारण सुनकर देखकर मेरा आश्चर्य चकित हो गया। वर्दी पहनना प्रतिबंधित नहीं है। जैसा कि मैंने देखा, छात्रों का आंदोलन स्वतंत्र है। यह उन्हें तय करना है कि वे क्या करना चाहते हैं।

my college essay in hindi

 जब मैं आया तो नए भर्ती हुए सभी छात्र अच्छी आत्माओं में थे। उन सभी से दोस्ती करना खुशी की बात थी। कॉलेज में घूमते हुए बहुत अच्छा लगा। जैसे ही मैंने कॉलेज के पुस्तकालय में प्रवेश किया, मैं हर उस विषय पर किताबें पाकर बहुत खुश हुआ, जिसके बारे में मैं जानना चाहता था। कॉलेज में अपने पहले दिन, मैं प्रयोगशाला के बारे में अधिक जानने और प्रयोग करने के लिए उत्सुक था। नोटिस बोर्ड ने मेरी कक्षा के लिए समय सारिणी प्रदर्शित की। कक्षाओं में भाग लेना कुछ ऐसा था जो मैंने किया। कॉलेज और स्कूल में पढ़ाने के तरीके में अंतर है।

 एक विशेष शिक्षक प्रत्येक विषय को पढ़ाता है। कक्षाएं प्रश्न नहीं पूछतीं। सबक सीखने में विफलता के परिणामस्वरूप प्रोफेसर की फटकार नहीं होती है। यह केवल छात्रों को यह याद दिलाने की बात है कि उनकी जिम्मेदारियां हैं। स्कूल में घर जैसा माहौल है, इसलिए छात्रों को स्नैक्स तक पहुंच नहीं है। इसलिए, उन्हें लगता है कि जीवन की आरामदायक लय बदल गई है और मैं कर्तव्य और स्वतंत्रता का मिश्रण महसूस करते हुए घर लौट आया।

नीचे दिए गए और निबंधों को पढ़ें जैसे,

  • सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रभाव
  • क्रिसमस निबंध

 कॉलेज निबंध में मेरा पहला दिन 500+ शब्दों में

 एक संक्षिप्त परिचय:.

मेरे जीवन की एक यादगार घटना कॉलेज में मेरा पहला दिन था। जब मैं एक लड़का था, मैंने एक कॉलेज में पढ़ने का सपना देखा था। एक कॉलेज में मेरे बड़े भाई ने भाग लिया था। हमारी बातचीत के दौरान, उन्होंने मुझे अपने कॉलेज के बारे में कहानियाँ सुनाईं। जब मैंने उन कहानियों को पढ़ा तो मेरा मन तुरंत दूसरी दुनिया में चला गया। एक छात्र के रूप में, मैंने कॉलेज को अपने स्कूल से बिल्कुल अलग अनुभव पाया। इसी वजह से मेरा कॉलेज जाने का सपना पूरा हुआ। मेरा कॉलेज का अनुभव मुझे स्कूल के उन कठोर नियमों से छुटकारा पाने का एक अवसर प्रतीत हुआ, जिनके तहत मैं स्कूल गया था। एसएससी की परीक्षा आखिरकार पास हो गई और मैं एक कॉलेज में दाखिला लेने में सक्षम हो गया। कुछ कॉलेजों ने मुझे प्रवेश पत्र दिए। उन कॉलेजों में प्रवेश परीक्षा देने के बाद हाजी मोहम्मद मोहसिन कॉलेज ने मुझे प्रवेश के लिए चुना। इस घटना ने मेरे जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत को चिह्नित किया।

  तैयारी:

मेरी कॉलेज लाइफ काफी समय से मेरे दिमाग में थी। यह अंत में यहाँ था। जैसे ही मैं अपने बिस्तर से उठा, मैंने नाश्ता तैयार किया। कॉलेज के रास्ते में, मैं सुबह 9 बजे से ठीक पहले वहाँ पहुँच गया, सुबह के समय नोटिस बोर्ड पर रूटीन लिखा हुआ था। यह तीन कक्षाओं के साथ मेरे लिए एक व्यस्त दिन था। मेरी कक्षाओं के बीच कक्षाओं में अंतर था और मैं इससे हैरान था।

  कक्षा का अनुभव:

यह अंग्रेजी थी जो मैंने अपनी पहली कक्षा में पढ़ी थी। मेरे लिए कक्षा में बैठने का समय हो गया था। कई छात्रों ने भाग लिया। उनके बीच जीवंत बातचीत हो रही थी। छात्र-छात्राओं की काफी बातचीत चल रही थी। मैं उनमें से कुछ के साथ कुछ ही समय में दोस्त बन गया, हालांकि उनमें से किसी को भी पहले से नहीं जानता था। कक्षा में प्राध्यापक समय पर पहुंचे। उसने जल्दी से रोल को बुलाया। इसके बाद उन्होंने बोलना शुरू किया। 

अंग्रेजी उनकी पहली भाषा थी। उन्होंने कहा कि कॉलेज के छात्रों की जिम्मेदारियां और कर्तव्य हैं। उसने उत्साह से मेरा ध्यान खींचा। यह एक बहुत ही जानकारीपूर्ण व्याख्यान था और मैंने इसका भरपूर आनंद लिया। अगली क्लास बंगाली का पहला पेपर था। कक्षा एक अलग कक्षा में आयोजित की गई थी। उस कक्षा में शिक्षक के व्याख्यान का विषय बंगाली लघु कथाएँ थीं। 

मेरे पिछले स्कूल के शैक्षिक मानक उन कॉलेजों से भिन्न हैं जिनमें मैं भाग ले रहा हूँ। कक्षाओं में जाने के बाद, मुझे अंतर समझ में आया। इसके अतिरिक्त, कॉलेज में शिक्षण का एक बेहतर तरीका था। छात्रों के साथ प्रोफेसर ने विनम्रता से व्यवहार किया जैसे कि वे दोस्त थे।

कॉलेज में पुस्तकालय, कॉमन रूम और कैंटीन:

कक्षाओं में उपस्थित होने के बाद, मैंने कॉलेज के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। कॉलेज में एक बड़ा पुस्तकालय था। हजारों किताबें थीं, और मैं चकित था। यह अध्ययन करने के लिए एक लोकप्रिय स्थान था। छात्रों की एक बड़ी भीड़ छात्रों के आम में बातचीत कर रही थी। कुछ छात्रों द्वारा इंडोर गेम्स भी खेले गए। इसके बाद मैं कॉलेज कैंटीन के पास रुका। मेरे कुछ दोस्तों और मैंने वहां चाय और नाश्ता किया। कैंपस में हर कोई अच्छा समय बिता रहा था और एन्जॉय कर रहा था।

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मेरे कॉलेज का पहला दिन पर निबंध College ka pehla din essay in hindi

College ka pehla din essay in hindi.

mahavidyalaya ka pehla din essay in hindi-दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं मेरे कॉलेज का पहला दिन पर निबंध दोस्तों अक्सर विद्यार्थियों के जीवन में कॉलेज का पहला दिन जब आता है तो कुछ अजीब सा प्रतीत होता है क्योंकि कॉलेज और स्कूल के वातावरण में,वहां के पहनावे में थोड़ा अंतर होता है। स्कूल में जहां हम एक ही जैसी ड्रेस पहन कर जाते हैं वही कॉलेज में हम किसी भी तरह के कपड़े पहन कर जाते हैं कई लोग यहां तरह तरह के स्टाइलिश कपड़े पहनकर भी जाते हैं।

College ka pehla din essay in hindi

जब मैं अपने शहर में स्कूल में पढ़ता था तो सोचता था कि 12वीं क्लास पास करने के बाद मैं दूसरे शहर के कॉलेज में पढ़ाई करूंगा दरअसल कॉलेज में पढ़ना और सिर्फ इसके बारे में ही सोचना मुझे बहुत अच्छा लगता था। कुछ समय बाद जब मैं 12वीं पास हुआ तो मुझे खुशी हुई कि अब मैं कॉलेज में पढ़ाई करूंगा फिर मैंने एक कॉलेज में एडमिशन लिया। मैं मेडिकल का स्टूडेंट था दरहसल मेरे पिताजी मुझे एक डॉक्टर बनाना चाहते थे काफी मशक्कत के बाद जब मेरा कॉलेज में एडमिशन हुआ तब मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैंने उस शहर में रेंट पर एक कमरा ले लिया और वहीं पर रहने लगा मेरे साथ कुछ दिनों के लिए मेरे मम्मी पापा भी वहां पर रुकने के लिए आए हुए थे।

आज मेरा कॉलेज का पहला दिन था मैं खाना खाकर दोपहर 11:00 बजे अपने घर से निकल पड़ा सोच रहा था कि कॉलेज में किस तरह का माहौल होगा, किस तरह के मेरे साथी होंगे मुझे थोड़ी खुशी भी थी लेकिन थोड़ा अजीब सा भी लग रहा था क्योंकि मैंने कभी भी कॉलेज का वातावरण नहीं देखा था। मैं जब अपने कॉलेज के नजदीक पहुंचा तो वहां पर एक बड़ा सा गेट लगा हुआ था जिसके बीच में एक छोटा सा गेट था जो कि खुला हुआ था मैंने उसके अंदर देखा तो बहुत से विद्यार्थी वहां पर थे।

कुछ देर सोचने के बाद मैं अंदर चला गया और विद्यार्थियों के साथ वहीं पर खड़ा हो गया मैंने देखा की बहुत से विद्यार्थी मेरे कॉलेज में मेरी तरह नए-नए आए हुए हैं लेकिन उनका व्यवहार ऐसा लग रहा था जैसे वह कई दिनों से एक दूसरे को जानते हैं यहां तक कि लड़कियां भी एक दूसरे से बहुत ही खिलखिलाकर बातें कर रही थी बस मैं ही अकेला खड़ा था। कुछ देर बाद मैंने पास में ही खड़े किसी से अपने कक्षा का पता पूछा तो मुझे उन्होंने पता बता दिया।

अब मैं अपने हाथों में लिए हुए किताबों के साथ अंदर चला गया जब मैं अपनी कॉलेज की क्लास में पहुंचा तो वहां पर मेरी तरह कई छात्र थे जिनमें कुछ लड़के एवं कुछ लड़कियां भी थी एक नजर में मैंने देखा और अनुमान लगा लिया कि लगभग 60 से 70 लड़के लड़कियां होंगे। मैं पास में ही रखी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया मैंने देखा कि मेरे शहर का मेरा स्कूल का दोस्त भी उस कॉलेज में है तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि उस क्लास में सभी मेरे लिए अनजान थे केवल में वो ही था जिसको मैं जानता था।

मैं उसके पास गया और उसका नाम लेते हुए उससे हेलो कहा। वह मुझे देखकर बहुत ही खुश हुआ उसने मुझे पास में ही बैठने को कहा हम कुछ देर तक बात करते रहे तभी कुछ ही देर में हमारे शिक्षक क्लास रूम में प्रवेश हुए तो हम सभी खड़े हो गए और उनके बैठने पर हम सभी बैठ गए।

उन्होंने सभी के नाम अपने रजिस्टर में से बोले लेकिन मेरा नाम सर ने नहीं बोला तभी सर ने रजिस्टर बंद कर दिया और मैं खड़ा हो गया मैंने कहा सर मेरा नाम नहीं बोला आपने तभी सर ने कहा क्या नाम है तुम्हारा? मैंने अपना नाम बताया उन्होंने अपने रजिस्टर में चेक किया लेकिन मेरा नाम नहीं था उन्होंने मेरा नाम लिखा और एक और रजिस्टर रखकर हम सभी के बारे में विस्तारपूर्वक जाना।

अब हम एक दूसरे से परिचित हो चुके थे मुझे खुशी हुई कि हमारे शहर से भी 5 लड़के और 2 लड़कियां भी पढ़ाई करने के लिए आई हुई हैं वह भी बहुत खुश हैं मैंने उन सभी से मुलाकात की। पहले दिन ही मेरे अपने दोस्तों के अलावा और भी चार पांच दोस्त बन चुके थे मुझे अपने कॉलेज का दिन बहुत ही भाया। शाम 4:00 बजे मैं अपने कॉलेज से वापस अपने घर आ गया लेकिन कॉलेज का मेरा पहला दिन मुझे बार-बार याद आता रहा।

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  3. 10 Great Essay Writing Tips

    Knowing how to write a college essay is a useful skill for anyone who plans to go to college. Most colleges and universities ask you to submit a writing sample with your application. As a student, you’ll also write essays in your courses.

  4. मेरा महाविद्यालय पर निबंध Essay on my college in hindi

    मेरे महाविद्यालय में जैसे ही मैं और अंदर प्रवेश करता हूं तो दो-चार क्लासरूम के बाद पांचवी क्लास में क्लासरूम मेरा है। मेरे क्लास

  5. Mere College Par Nibhand

    Playlist :- Hindi Essay Writing https://youtube.com/playlist?list=PLgqPtvIGe10fiPidcXWT44e1qqtTNZZEl Hello my dear viewers Welcome to my

  6. महाविद्यालय का पहला दिन निबंध my first day of college essay in hindi

    मैंने उससे कॉलेज के बारे में जाना, वहां के अध्यापकों के बारे में जाना तो मुझे थोड़ा अच्छा लगा मुझे विद्यालय का पहला दिन बहुत ही अच्छा

  7. मेरा कॉलेज पर निबंध || essay on my college in Hindi

    मेरा कॉलेज पर निबंध essay on my college in Hindi mera college par 10 line nibandh meta college per nibandh likhane ka Sahi tarika

  8. कॉलेज में मेरा पहला दिन my first day at college essay in hindi

    मैं कॉलेज के चक्कर लगाता रहा। मुझे कॉलेज के भव्य पुस्तकालय को देखकर बहुत खुशी हुई जहाँ मुझे बहुत विषय पर किताबें मिल

  9. महाविद्यालय पर निबंध

    जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तो महाविद्यालयों (कॉलेजों) में पढऩे वाले छात्रों को बड़ी उत्सुकता और गौर से देखा करता था। कई बार सोचता, वह दिन

  10. Essay on My School in Hindi, मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में

    Essay on My School in Hindi - मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में - इस लेख में, हमने स्कूल के बारे में बात की है। स्कूल और शिक्षा हमारे जीवन में

  11. महाविद्यालय का पहला दिन । First Day of College in Hindi -

    My School Essay In Hindi · Importance of Science Essay In English for All Classes · मेट्रो रेल पर निबंध l Essay On Metro Train In Hindi · Essay On

  12. महाविद्यालय का पहला दिन पर निबंध लिखे।

    महाविद्यालय का पहला दिन प्रथम दिन का अनुभव : किसी न स्थान में जाने अथवा भ्रमण करने का पहला दिन का अनुभव अत्यन्त कौतुहलपूर्ण

  13. कॉलेज में मेरे पहले दिन पर निबंध 150, 350 और 500 शब्दों में

    ... Essay For School & College Students With Essay Topic List August 20, 2023 In "Essay". My Last Day At School Essay With Quotation April 3, 2023

  14. मेरे कॉलेज का पहला दिन पर निबंध College ka pehla din essay in hindi -

    College ka pehla din essay in hindi ... Save my name, email, and website in this browser for the next time I